विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021 | World Press Freedom Index 2021 Current Affairs With General Knowledge |
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021: भारत की रैंकिंग, वैश्विक परिदृश्य और महत्वपूर्ण तथ्य

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021: एक सिंहावलोकन
दोस्तों, हाल ही में विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021 (World Press Freedom Index 2021) की रिपोर्ट जारी की गई है। यह सूचकांक दुनिया भर के देशों में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति का मूल्यांकन करता है और पत्रकारों के लिए काम करने के माहौल का आकलन करता है। 20 अप्रैल 2021 को जारी इस रिपोर्ट में कुल 180 देशों को शामिल किया गया है। यह करेंट अफेयर्स और सामान्य ज्ञान की दृष्टि से एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है, जिससे प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाने की प्रबल संभावना रहती है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत लगातार दूसरी बार 180 देशों की सूची में 142वें स्थान पर रहा है, जो चिंता का विषय है। वहीं, नॉर्वे लगातार पांचवें वर्ष पहले स्थान पर काबिज रहा, जबकि फिनलैंड और डेनमार्क ने क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया।
आइए, इस सूचकांक से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों, भारत की स्थिति, पड़ोसी देशों की रैंकिंग और इसे जारी करने वाली संस्था के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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इस लेख में क्या है खास (Table of Contents):
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021: मुख्य बातें
- जारीकर्ता संगठन: रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF)
- शीर्ष और सबसे निचले पायदान वाले देश (2021)
- भारत की रैंकिंग और विश्लेषण (2021)
- भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति (2021)
- प्रेस की स्वतंत्रता: संवैधानिक और सामान्य ज्ञान
- इस सूचकांक का महत्व
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
- निष्कर्ष और M S WORLD का संदेश
- अन्य महत्वपूर्ण करेंट अफेयर्स और GK लिंक्स
1. विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021: मुख्य बातें
- जारी करने की तिथि: 20 अप्रैल 2021
- संस्करण: यह विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का 20वां संस्करण था। (पहली रिपोर्ट वर्ष 2002 में जारी की गई थी।)
- शामिल देश: कुल 180 देशों और क्षेत्रों का मूल्यांकन किया गया।
- मूल्यांकन का आधार: यह सूचकांक विभिन्न मानदंडों पर आधारित होता है, जिनमें मीडिया की स्वतंत्रता, बहुलवाद, मीडिया का माहौल और स्व-सेंसरशिप, विधायी ढांचा, पारदर्शिता, और समाचार तथा सूचना के उत्पादन के लिए बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता शामिल हैं।
- वैश्विक रुझान: रिपोर्ट के अनुसार, 73% देशों में पत्रकारिता आंशिक या पूर्ण रूप से बाधित है।
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2. जारीकर्ता संगठन: रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF)
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता के गैर-लाभकारी संगठन "रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स" (Reporters Without Borders) या फ्रांसीसी नाम "रिपोर्टर्स सैन्स फ्रंटियर्स" (Reporters Sans Frontières - RSF) द्वारा जारी किया जाता है।
- RSF एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी और गैर-लाभकारी संगठन है जो दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और प्रचार करने के लिए काम करता है।
- इसकी स्थापना 1985 में फ्रांस में हुई थी।
- RSF का मुख्यालय पेरिस (फ्रांस) में स्थित है।
- यह संगठन संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को, यूरोपीय परिषद और फ्रैंकोफोनी के अंतर्राष्ट्रीय संगठन के साथ सलाहकार की भूमिका निभाता है।
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3. शीर्ष और सबसे निचले पायदान वाले देश (2021)
शीर्ष प्रदर्शन करने वाले देश:
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021 में नॉर्वे लगातार पांचवें वर्ष प्रथम स्थान पर रहा, जो प्रेस की स्वतंत्रता के लिए एक उत्कृष्ट माहौल को दर्शाता है।
रैंक | देश | स्थिति |
---|---|---|
1 | नॉर्वे (Norway) | उत्कृष्ट |
2 | फिनलैंड (Finland) | उत्कृष्ट |
3 | डेनमार्क (Denmark) | उत्कृष्ट |
4 | स्वीडन (Sweden) | उत्कृष्ट |
5 | नीदरलैंड (Netherlands) | उत्कृष्ट |
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सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देश:
सूचकांक में अंतिम (180वें) स्थान पर इरिट्रिया को रखा गया है, जहाँ प्रेस की स्वतंत्रता लगभग न के बराबर है।
रैंक | देश | स्थिति |
---|---|---|
180 | इरिट्रिया (Eritrea) | बहुत गंभीर |
179 | उत्तर कोरिया (North Korea) | बहुत गंभीर |
178 | तुर्कमेनिस्तान (Turkmenistan) | बहुत गंभीर |
177 | चीन (China) | बहुत गंभीर |
176 | जिबूती (Djibouti) | बहुत गंभीर |
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4. भारत की रैंकिंग और विश्लेषण (2021)
- वर्ष 2021 में जारी विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत को 180 देशों में से 142वां स्थान प्राप्त हुआ।
- यह लगातार दूसरा वर्ष था जब भारत को यही रैंकिंग मिली (2020 में भी भारत 142वें स्थान पर था)।
- RSF ने भारत को पत्रकारिता के लिए "खराब" (bad) श्रेणी वाले देशों में वर्गीकृत किया है।
- रिपोर्ट में भारत में पत्रकारों के खिलाफ हिंसा, राजनीतिक दबाव और मीडिया के स्वामित्व के केंद्रीकरण जैसी चिंताओं का उल्लेख किया गया था।
- 142वां स्थान पत्रकारिता के लिए भारत की चुनौतीपूर्ण स्थिति को दर्शाता है, जहाँ पत्रकारों को अपना काम स्वतंत्र रूप से करने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
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5. भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति (2021)
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021 में भारत के कुछ पड़ोसी देशों की स्थिति इस प्रकार थी:
देश | रैंक (2021) |
---|---|
भूटान (Bhutan) | 65 |
नेपाल (Nepal) | 106 |
श्रीलंका (Sri Lanka) | 127 |
म्यांमार (Myanmar) | 140 |
भारत (India) | 142 |
पाकिस्तान (Pakistan) | 145 |
बांग्लादेश (Bangladesh) | 152 |
चीन (China) | 177 |
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भूटान और नेपाल जैसे कुछ पड़ोसी देशों की स्थिति भारत से बेहतर थी, जबकि पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन की स्थिति भारत से भी खराब थी।
6. प्रेस की स्वतंत्रता: संवैधानिक और सामान्य ज्ञान
भारतीय संविधान और प्रेस की स्वतंत्रता:
भारतीय संविधान में "प्रेस की स्वतंत्रता" शब्द का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है। हालांकि, इसे अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत निहित माना जाता है, जो सभी नागरिकों को "वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" (Freedom of Speech and Expression) का मौलिक अधिकार प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 19(1)(a): "सभी नागरिकों को वाक् स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य का अधिकार होगा।"
- सर्वोच्च न्यायालय ने कई मामलों में यह व्याख्या की है कि प्रेस की स्वतंत्रता वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का एक अभिन्न अंग है।
- हालांकि, यह अधिकार असीमित नहीं है और अनुच्छेद 19(2) के तहत इस पर कुछ युक्तियुक्त निर्बंधन (Reasonable Restrictions) लगाए जा सकते हैं, जैसे कि भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता, या न्यायालय की अवमानना, मानहानि या किसी अपराध के लिए उत्तेजना के संबंध में।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस:
प्रतिवर्ष 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (World Press Freedom Day) मनाया जाता है। इसकी घोषणा दिसंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और दुनिया भर की सरकारों को पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उनके कर्तव्य की याद दिलाना है।
7. इस सूचकांक का महत्व
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक कई कारणों से महत्वपूर्ण है:
- जागरूकता: यह दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति पर प्रकाश डालता है और उन क्षेत्रों को उजागर करता है जहाँ सुधार की आवश्यकता है।
- नीति निर्माण: यह सरकारों और नीति निर्माताओं के लिए एक संदर्भ बिंदु के रूप में कार्य कर सकता है ताकि वे प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने वाली नीतियां बना सकें।
- अंतर्राष्ट्रीय तुलना: यह विभिन्न देशों में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति की तुलना करने का एक साधन प्रदान करता है।
- जवाबदेही: यह सरकारों को प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति उनकी प्रतिबद्धताओं के लिए जवाबदेह ठहराने में मदद कर सकता है।
- निवेश और विकास: प्रेस की स्वतंत्रता को अक्सर एक स्वस्थ लोकतंत्र और अच्छे शासन का संकेतक माना जाता है, जो विदेशी निवेश और समग्र विकास को प्रभावित कर सकता है।
8. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक क्या है?
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक एक वार्षिक रैंकिंग है जो रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) द्वारा प्रकाशित की जाती है। यह दुनिया भर के 180 देशों और क्षेत्रों में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति का मूल्यांकन करता है।
प्रश्न 2: विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021 में भारत का स्थान क्या था?
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021 में भारत 180 देशों में से 142वें स्थान पर था।
प्रश्न 3: यह सूचकांक कौन जारी करता है?
यह सूचकांक "रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स" (Reporters Without Borders) या "रिपोर्टर्स सैन्स फ्रंटियर्स" (RSF) नामक एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन द्वारा जारी किया जाता है।
9. निष्कर्ष और M S WORLD का संदेश
दोस्तों, विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021 पर दी गई यह जानकारी आपको कैसी लगी? 🤔 यह सूचकांक न केवल पत्रकारों के लिए बल्कि एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है। हमें उम्मीद है कि यह विस्तृत विश्लेषण आपकी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक होगा।
अपनी सुझाव और प्रतिक्रिया हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं 😊। यदि यह पोस्ट आपको अच्छी लगी हो तो इसे लाइक करके ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए ताकि हम और भी महत्वपूर्ण जानकारी आपके लिए लाते रहें।
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