केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस 2025 (24 फरवरी): A to Z गाइड - इतिहास, महत्व और CBIC की भूमिका
केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस 2025 (24 फरवरी): A to Z गाइड - इतिहास, महत्व, और CBIC की भूमिका
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भारत की अर्थव्यवस्था एक विशाल मशीन की तरह है, जिसे चलाने के लिए कई महत्वपूर्ण पुर्जे दिन-रात काम करते हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण पुर्जा है हमारा कर विभाग। देश के आर्थिक विकास में योगदान देने वाले इन्हीं अधिकारियों और कर्मचारियों के सम्मान में हर साल 24 फरवरी को केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस (Central Excise Day) मनाया जाता है।
यह दिन सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि देश के प्रति निष्ठा और ईमानदारी का प्रतीक है। आइए, इस महत्वपूर्ण दिवस के हर पहलू को गहराई से समझते हैं।
इस लेख में आप क्या जानेंगे (Table of Contents)
केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस क्या है?
यह दिवस केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC - Central Board of Indirect Taxes and Customs) द्वारा मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य CBIC के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा देश की सेवा में दिए गए योगदान को सम्मानित करना और आम जनता को अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के बारे में जागरूक करना है।
इसका इतिहास: 24 फरवरी ही क्यों? (Table Format)
इस दिन का चुनाव एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कानून की याद में किया गया था। आइए, इसकी यात्रा को समझते हैं:
वर्ष/तिथि | महत्वपूर्ण घटना |
---|---|
1855 | ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में पहली बार औपचारिक रूप से उत्पाद शुल्क विभाग (Excise Department) की स्थापना हुई। |
24 फरवरी 1944 | 'केंद्रीय उत्पाद शुल्क और नमक अधिनियम, 1944' (Central Excises and Salt Act, 1944) को लागू किया गया। इस कानून ने भारत की कर प्रणाली को एक नई दिशा दी। |
2017 - वर्तमान | GST लागू होने के बाद, केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) का नाम बदलकर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) कर दिया गया। |
इसी ऐतिहासिक 24 फरवरी 1944 की तारीख को यादगार बनाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
CBIC की भूमिका और कार्य क्या हैं?
CBIC, जो केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत काम करता है, देश की आर्थिक रीढ़ है। इसके मुख्य कार्य हैं:
- कर संग्रह (Tax Collection): GST, सीमा शुल्क (Customs Duty), और केंद्रीय उत्पाद शुल्क जैसे अप्रत्यक्ष करों का संग्रह करना।
- नीति निर्माण (Policy Making): कर से संबंधित नीतियों को बनाने और उन्हें लागू करने में सरकार की मदद करना।
- तस्करी पर रोक (Anti-Smuggling): देश की सीमाओं पर तस्करी और अवैध व्यापार को रोकना।
- व्यापार सुगमता (Ease of Doing Business): व्यापार प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाना।
GST और केंद्रीय उत्पाद शुल्क - क्या है आज की स्थिति?
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल है। 1 जुलाई 2017 को जीएसटी (Goods and Services Tax) लागू होने के बाद, अधिकांश केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर (Service Tax) जैसे कई अप्रत्यक्ष कर GST में समाहित हो गए।
लेकिन, आज भी कुछ उत्पाद ऐसे हैं जिन पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क लगता है। ये हैं:
- पेट्रोलियम उत्पाद: पेट्रोल, डीजल, एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) आदि।
- तंबाकू और तंबाकू उत्पाद।
- मानव उपभोग के लिए शराब: इस पर राज्य उत्पाद शुल्क (State Excise) लगता है, लेकिन यह GST के दायरे से बाहर है।
यह दिवस मनाने के मुख्य उद्देश्य
- CBIC के अधिकारियों और कर्मचारियों की कड़ी मेहनत और ईमानदारी को सम्मानित करना।
- आम नागरिकों और उद्यमियों को अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के बारे में शिक्षित और जागरूक करना।
- कर भुगतान को एक राष्ट्रीय कर्तव्य के रूप में प्रोत्साहित करना।
- करदाताओं और विभाग के बीच विश्वास और सहयोग का रिश्ता मजबूत करना।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1. केंद्रीय उत्पाद शुल्क किस प्रकार का कर है?
A1. केंद्रीय उत्पाद शुल्क एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) है, जो भारत में निर्मित या उत्पादित वस्तुओं पर उनके निर्माण के समय ही लगाया जाता है।
Q2. यह दिवस 24 फरवरी को ही क्यों मनाया जाता है?
A2. क्योंकि इसी दिन, 24 फरवरी 1944 को 'केंद्रीय उत्पाद शुल्क और नमक अधिनियम' को लागू किया गया था, जो भारत की कर प्रणाली में एक मील का पत्थर था।
Q3. क्या GST के बाद केंद्रीय उत्पाद शुल्क पूरी तरह खत्म हो गया है?
A3. नहीं, पूरी तरह से नहीं। अधिकांश उत्पाद GST के दायरे में आ गए हैं, लेकिन पेट्रोलियम और तंबाकू जैसे कुछ महत्वपूर्ण उत्पाद अभी भी केंद्रीय उत्पाद शुल्क के अंतर्गत आते हैं।
Q4. CBIC का अध्यक्ष कौन है?
A4. CBIC का एक अध्यक्ष होता है जिसकी नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है। यह पद समय-समय पर बदलता रहता है, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट देखना उचित है।
निष्कर्ष
केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस सिर्फ एक विभाग का उत्सव नहीं, बल्कि यह देश के आर्थिक विकास में योगदान देने वाले हर अधिकारी और ईमानदार करदाता के प्रति सम्मान का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि एक पारदर्शी और कुशल कर प्रणाली ही एक आत्मनिर्भर और मजबूत राष्ट्र की नींव होती है।
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